Tuesday, 7 June 2016

कन्या भ्रूण हत्या एवं शिशु बालिका हत्या - सामाजिक कुरीति

कन्या भ्रूण हत्या एवं शिशु बालिका हत्या - सामाजिक कुरीति

आज की सबसे ज्वलंत समस्या समाज मे लड़कियों के प्रति बढ़ती हिंसा ही है। ये जानते हुए कि स्त्री  के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती, ये कार्य निष्पादित किए जा रहे है । घर का चिराग चाहने वालों ने आज तक बेटी को नहीं अपनाया है , क्या ये सत्य नहीं है कि बेटी बिना जीवन कैसे संभव है । आपकी बेटी किसी के घर के चिराग को जन्म देगी ठीक उसी तरह किसी और की बेटी जो आपके घर आई है वो आपके घर का चिराग लाएगी । और ये सिलसिला क्रमानुसार चलता रहेगा । आज सबसे ज्यादा आवश्यकता है कि अपने मस्तिष्क के पट खोले जाएँ । बेटियों को भी जन्म ले कर जीने दिया जाए ।

स्त्री शोषण - सामाजिक कुरीति

स्त्री शोषण - सामाजिक कुरीति
 
 वैदिक काल मे जिस स्त्री को देवी की तरह माना जाता था आज उसका घोर अपमान अपनी जड़े जमा रहा है । उसको केवल भोग विलास की वस्तु समझने वालों तथा स्त्री को हेय दृष्टि से देखने वालों की बीमार मानसिकता कहें या पुरुष वर्चस्व की प्रधानता कहें , जो भी हो परंतु अधिकांश वर्ग स्त्री को उसका अधिकार नहीं दे पाता है और उसे सामाजिक न्याय से वंचित रखा जाता है । कहीं कहीं हम देखते है की स्त्री और पुरुष दोनों ही कमाऊ होते हैं पर स्त्री को घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारियों का भलीभाँति निर्वहन करना पड़ता है अन्यथा घर मे व आफिस दोनों जगह उसका मानसिक शोषण होता है क्योंकि वह एक नारी है। आज अधिकांश स्त्रियाँ काम करती हैं घर और रोजगार दोनों को कुशलता पूर्वक संभालतीं हैं ।
आज हम यह भी देख रहे है कि कुछ कुत्सित मानसिकता वाले लोगो ने बलात्कार सरीखा सबसे घिनौना तरीका स्त्री शोषित करने के लिए अपनाया है । पीड़िता स्त्री या बालिका का जीवन अंधकारमय हो जाता है कई तो लोक लाज के डर से अपना मुंह नहीं खोल पाती और कई अपना जीवन ही समाप्त कर लेतीं हैं साथ ही ऐसा भी देखने मे आता है कि अपराधी पीड़िता का जीवन ही छीन लेता है । कुछ ही पीड़िताएं इस दुःख से बाहर निकल पाती हैं और अपराधी के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत करतीं हैं।
बलात्कार एक संज्ञेय अपराध है और पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी अभियुक्त को हिरासत मे ले सकता है । बलात्कार का आरोप , सेशन कोर्ट द्वारा पूर्णतया विचारणीय होता है । इसकी सामान्य सजा कम से कम 7 से 10 वर्षों तक कारावास और अधिक से अधिक आजीवन कारावास औए जुर्माना है । अभी हाल ही मे इन मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का भी गठन हुआ है ताकि पीड़िता को शीघ्र न्याय और अपराधी को सजा सुनाई जा सके । भारतीय दंड संहिता की धारा 511 के अंतर्गत बलात्कार का प्रयास करना भी अपराध है ।     

सामाजिक कुरीतियाँ एक अभिशाप हैं !!

सामाजिक कुरीतियाँ एक अभिशाप हैं !

 समाज मात्र एक शब्द नहीं अपितु यह शब्द  अपने आप मे बड़ी गहराई लिए हुए है । व्यक्ति जुड़ कर रिश्ते बनते है रिश्तों से परिवार बनता है, परिवार जुडते जुडते एक समाज की संरचना करते है । इसलिए समाज हमारा ही परिवार है ये अलग नहीं है । व्यक्तियों के साथ साथ उनकी अच्छी बुरी सोच भी एक दूसरे से जुड़ जाती है । संवेदनाओं और इंसान का आपस मे  बड़ा गहरा रिश्ता है । किन्तु जहां संवेदनाए समाप्त हो जाती है वहाँ कुरीतियाँ जन्म लेती है । आज समाज मे हम अपने चारों ओर देखते है तो यही पाते है की सारा समाज संवेदना हीन हो चुका है । संवेदनाहीन समाज मे अनेकों कुरीतियाँ फैल रही है । जिनकी वजह से आज समाज का विकृत रूप सामने आ रहा है।  समाज मे फैली तमाम बुराइयाँ जैसे स्त्री शोषण , कन्या भ्रूण हत्या , भ्रष्टाचार , दहेज, बाल श्रम, छुआछूत, बाल विवाह  इत्यादि जिनको दूर करने के लिए हम सभी काफी समय से प्रयास रत है  कुछ कुरीतियों पर लगाम लगाई जा चुकी है जैसे सती प्रथा , बाल विवाह, किन्तु बाल विवाह की कुप्रथा आज भी हमे राजस्थान , मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों मे देखने सुनने को मिल ही जाती है।